Generation of Computer in Hindi | 5 कम्प्यूटर की पीढ़ियां
Generation of computer in Hindi-5 कंप्यूटर की पीड़ियो के बारे में जाने आसान भाषा में
दोस्तों किसी भी बस्तु को बदलने में टाइम लगा हैं चाहे वह इन्सान हो या कंप्यूटर बदलाव धीरे-धीरे ही संभव हुआ हैं. इस ब्लॉग हम जानेगे की कंप्यूटर का विकास किस तरह संभव हुआ हैं. हमारे देनिक जीवन में कंप्यूटर का बहुत बड़ा योगदान हैं. कंप्यूटर में या मोबाइल में अगर आप देखे तो बहुत सारे बदलाव देखने को मिलते हैं समय समय पर जो की हमारे जीवन में जरुरी भी हैं.
आज हम इस ब्लॉग में मानव जीवन के विकास में अपने बहुत बड़ा योगदान देने वाले कंप्यूटर के बारे में बात करने जा रहे हैं आज आप इस ब्लॉग कंप्यूटर की 5 पीड़ियो के बारे में हिंदी में जान पायंगे.
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Table of Contents
Generation of computer
First Generation Year | 1942-1955 |
second Generation year | 1955-1964 |
Third Generation Year | 1964-1975 |
Forth Generation Year | 1975-1989 |
Fifth Generation Year | 1989-अब तक |
1-पहली पीड़ी के कंप्यूटर (First Generation of computers)(1942-1955)
- पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर के निर्माण में निर्वात ट्युब (Vacuum Tubes) का प्रयोग किया गया जिसे वाल्य (Valve) भी कहा जाता है।
- साफ्टवेयर मशीनी भाषा (Machine Language) तथा निम्न स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषा (Low Level Programming Language) में तैयार किया जाता था।
- डाटा तथा साफ्टवेयर के भंडारण (Storage) के लिए पंचकार्ड (Punch Card) तथा पेपर टेप (Paper Tape ) का प्रयोग किया गया।
- कम्प्यूटर का गणना समय या गति मिली सेकेण्ड (Milli Second-ms) में थी। (1ms= 10 या 1/1000 sec)।
- पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर का उपयोग मुख्यतः वैज्ञानिक अनुसंधान तथा सैन्य कार्यों में किया गया।
- ये आकार में बड़े (Bulky) और अधिक ऊर्जा खपत करने वाले थे। इनकी भंडारण क्षमता कम तथा गति मंद थी। इनमें त्रुटि (Error) होने की संभावना भी अधिक रहती थी। अतः इनका संचालन एक खर्चीला काम था। निर्वात ट्यूब द्वारा अधिक ऊष्मा उत्पन्न करने के कारण इन्हें वातानुकूलित वातावरण में रखना पड़ता था।
- एनिएक (ENIAC), यूनीबैक (UNIVAC) तथा आईबीएम (IBM) के मार्क-I इसके उदाहरण हैं।
- 1952 में डॉ. ग्रेस हापर द्वारा असेम्बली भाषा (Assembly Language) के आविष्कार से प्रोग्राम लिखना कुछ आसान हो गया।
2-दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Second Generation Computers) (1955-64)
- दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में निर्वात ट्यूब की जगह सेमीकंडक्टर ट्रांजिस्टर (Transistor) का प्रयोग किया गया जो अपेक्षाकृत हल्के, छोटे और कम विद्युत खपत करने वाले थे।
- इस पीड़ी कम्प्यूटर के लिए साफ्टवेयर उच्च स्तरीय असेम्बली भाषा (High Level Assembly Language) में तैयार किया गया
- असेम्बली भाषा में प्रोग्राम लिखने के लिए निमानिक्स कोड (Mnemonics Code) का प्रयोग किया जाता है जो याद रखने में सरल होते हैं। अतः असेम्बली भाषा में साफ्टवेयर तैयार करना आसान होता है।
- डाटा तथा साफ्टवेयर के भंडारण के लिए मेमोरी के रूप में चुंबकीय भंडारण उपकरणों (Magnetic Storage Devices) जैसे- मैग्नेटिक टेप तथा मैग्नेटिक डिस्क आदि का प्रयोग आरंभ हुआ। इससे भंडारण क्षमता तथा कम्प्यूटर की गति में वृद्धि हुई।
- कम्प्यूटर के प्रोसेस करने की गति तीव्र हुई जिसे अब माइक्रो सेकेण्ड (micro second -ms) में मापा जाता था (1 us = 10 Sec या 1 सेकेण्ड का दस लाखवा भाग)।
- व्यवसाय तथा उद्योग में कम्प्यूटर का प्रयोग आरंभ हुआ।
- बैच आपरेटिंग सिस्टम (Batch Operating System) का आरंभ किया गया।
- साफ्टवेयर में कोबोल (COBOL-Common Business Oriented Language) और फोरट्रान (FORTRAN- Formula Translation) जैसे उच्च स्तरीय भाषा (High Level language) का विकास आईबीएम द्वारा किया गया। इससे प्रोग्राम लिखना आसान हुआ।
- क्या आप जानते हैं ?:- ट्रांजिस्टर (Transistor) का आविष्कार 1947 में बेल लॅबोरेटरीज (Bell Laboratories) के जॉन वारडीन, विलियम शाकले तथा वाल्टर ब्रेटन (Bardeen, Shockley and Brattain) ने किया। अर्द्धचालक (Semiconductor) पदार्थ सिलिकन (Si) या जर्मेनियम (Ge) का बना ट्रांजिस्टर एक तीव्र स्विचिंग डिवाइस है।
3-तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर(Third Generation Computers) (1964-1975)
- तीसरी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड ‘सर्किट चिप (IC-Integrated Circuit Chip) का प्रयोग आरंभ हुआ जिससे कम्प्यूटर का लघुरूपण संभव हो सका। SSI (Small Scale Integration) तथा बाद में MSI (Medium Scale Integration) का विकास हुआ जिसमें एक इंटीग्रेटेड सर्किट चिप में सैकड़ों इलेक्ट्रानिक उपकरणों, जैसे ट्रांजिस्टर, प्रतिरोधक (Register) तथा संधारित्र (Capacitor) का निर्माण संभव हुआ।
- इनुपट तथा आउटपुट उपकरण के रूप में क्रमशः की- बोर्ड तथा मॉनीटर का प्रयोग प्रचलित हुआ। की-बोर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में डाटा तथा निर्देश डालना आसान हुआ।
- Magnetic टेप तथा डिस्क के भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई। सेमीकंडक्टर भंडारण उपकरणों (Semi Conductor Storage Devices) का विकास हुआ। रैम (RAM-Random Access Memory) के कारण कम्प्यूटर की गति में वृद्धि हुई।
- कम्प्यूटर का गणना समय नैनो सेकेण्ड (ns) में मापा जाने लगा। इससे कम्प्यूटर के कार्य क्षमता में तेजी आई। (1 ns = 10″ Sec)
- कम्प्यूटर का व्यवसायिक व व्यक्तिगत उपयोग आरंभ हुआ।
- उच्च स्तरीय भाषा में पीएल-1 (PL/1), पास्कल (PASCAL) तथा बेसिक (BASIC) का विकास हुआ।
- टाइम शेयरिंग ऑपरेटिंग सिस्टम (Time Sharing Operating System) का विकास हुआ।
- हार्डवेयर और साफ्टवेयर की अलग-अलग बिक्री प्रारंभ हुई। इससे उपयोगकर्ता आवश्यकतानुसार साफ्टवेयर ले सकता था।
- 1965 में डीइसी (DEC-Digital Equipment Corporation) द्वारा प्रथम व्यवसायिक मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer पीडीपी-8 (Programmed Data Processer 8) का विकास किया गया।।
- क्या आप जानते हैं ?:- इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का विकास 1958 में जैक किल्बी (Jack Kilby) तथा राबर्ट नोयी (Robert Noyee) द्वारा किया गया। सिलिकन की सतह पर बने इस प्रौद्योगिकी को माइक्रो इलेक्ट्रानिक्स (Micro Electronics) का नाम दिया गया। ये चिप अर्धचालक (Semiconductor) पदार्थ सिलिकन (Si) या जर्मेनियम (Ge) के बने होते हैं।
4-चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटर (Fourth Generation Computers) (1975-1989)
- चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटरों में माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया गया St (Large Scale Integration) तथा VLSI (Very Large Scale Integration) से माइक्रोप्रोसेसर की क्षमता में वृद्धि हुई।
- कम्प्यूटर का गणना समय पीको सेकेण्ड (Pico second -ps) में मापा जाने लगा। (Ips 10 Sec ) माइक्रो प्रोसेसर के इस्तेमाल से अत्यंत छोटा और हाथ में लेकर चलने योग्य कम्प्यूटरों का विकास संभव हुआ।
- मल्टी टॉस्किंग (Multitasking) के कारण कम्प्यूटर का प्रयोग एक साथ कई कार्यों को संपन्न करने में किया जाने लगा। माइक्रो प्रोसेसर का विकास एम ई हौफ ने 1971 में किया। इससे व्यक्तिगत कम्प्यूटर (Personal Computer) का विकास हुआ।
- चुम्बकीय डिस्क और टेप का स्थान अर्धचालक (Semi- conductor) मेमोरी ने ले लिया। रैम (RAM) की क्षमता में वृद्धि से कार्य अत्यंत तीव्र हो गया।। उच्च गति वाले कम्प्यूटर नेटवर्क (Network) जैसे लैन (LAN) व वैन (WAN) का विकास हुआ।
- समानान्तर कम्प्यूटिंग (Parallel Computing) तथा मल्टीमीडिया का प्रचलन प्रारंभ हुआ।
- 1981 में आईबीएम (IBM International Business Machine) कम्पनी ने माइक्रो कम्प्यूटर का विकास किया जिसे पीसी (PC- Personal Computers) कहा गया।
- साफ्टवेयर में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस (GUI Graphical User Interface) के विकास ने कम्प्यूटर के उपयोग को सरल बना दिया।
- आपरेटिंग सिस्टम में एम.एस. डॉस (MS-DOS). माइक्रोसाफ्ट विण्डोज (MS- Windows) तथा एप्पल ऑपरेटिंग सिस्टम (Apple OS) का विकास हुआ।
- उच्च स्तरीय भाषा में ‘C’ भाषा का विकास हुआ जिसमें प्रोग्रामिंग सरल था। डेनिस रिची उच्च स्तरीय भाषा का मानकीकरण किया गया ताकि किसी प्रोग्राम को सभी कम्प्यूटर में चलाया जा सके।
- रोचक तथ्य:-
- मूर के नियम (Moore’s Law) के अनुसार, प्रत्येक 18 माह में चिप में उपकरणों की संख्या दुगनी हो जाएगी। → यूएलएसआई (ULSI) में एक चिप पर 1 करोड़ इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बनाये जा सकते हैं।
5-पांचवी पीढ़ी के कम्प्यूटर(Fifth Generation Computers) (1989- अब तक )
- ULSI (Ultra Large Scale Integration) SLSI (Super Large Scale Integration) से करोड़ों इलेक्ट्रानिक उपकरणों से युक्त माइक्रो प्रोसेसर चिप का ‘विकास हुआ।
- इससे अत्यंत छोटे तथा हाथ में लेकर चलने योग्य कम्प्यूटरों का विकास हुआ जिनकी गणना क्षमता अत्यंत तीव्र तथा अधिक है। मल्टीमीडिया तथा एनिमेशन के कारण कम्प्यूटर का शिक्षा तथा मनोरंजन आदि के लिए भरपूर उपयोग किया जाने लगा।
- इंटरनेट तथा सोशल मीडिया के विकास ने सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा एक दूसरों से संपर्क करने के तरीकों में क्रांतिकारी परिवर्तन संभव बनाया।
- भंडारण के लिए आप्टिकल डिस्क (Optical Disc) जैसे- सीडी (CD), डीवीडी (DVD) या ब्लू रे डिस्क (Blu-ray Disc) का विकास हुआ जिनकी भंडारण क्षमता अत्यंत उच्च थी।
- दो प्रोसेसर को एक साथ जोड़कर तथा पैरेलल प्रोसेसिंग द्वारा कम्प्यूटर प्रोसेसर की गति को अत्यंत तीव्र बनाया गया।
- नेटवर्किंग के क्षेत्र में इंटरनेट (Internet) ई-मेल (E- mail) तथा वर्ल्ड वाइड वेब (www-world wide web) का विकास हुआ।
- सूचना प्रौद्योगिकी ( Information Technology) तथा सूचना राजमार्ग (Information Highway) की अवधारणा का विकास हुआ।
- नये कम्प्यूटर में कृत्रिम ज्ञान क्षमता (Artificial Intelligence) डालने के प्रयास चल रहे हैं ताकि कम्प्यूटर परिस्थितियों के अनुकूल स्वयं निर्णय ले सके। आवाज को पहचानने (Speech Recognition) तथा रोबोट निर्माण (Robotics) में इसका प्रयोग किया जा रहा है।
- मैगनेटिक बबल मेमोरी (Magnetic Bubble Memory) के प्रयोग से भंडारण क्षमता में वृद्धि हुई।
- पोर्टेबल पीसी (Portable PC) और डेस्क टॉप पीसी (Desktop PC) ने कम्प्यूटर को जीवन के लगभग प्रत्येक क्षेत्र से जोड़ दिया।
- रोचक तथ्य:- आलू के चिप्स के आकार के होने के कारण इंटीग्रेटेड सर्किट को चिप (Chip) नाम दिया गया।
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